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Saturday 11 February 2012

प्रेम की नाव

उसकी बातो में
लगने लगा हे
बहुत कुछ
बनाव इन दिनों.


किसी और की
गली से
गुजरने लगे हे
उसके पावं इन दिनों.


मागने लगा हे
कोई और
उसके जुल्फों की
छाव इन दिनों.


हाँ चर्चे हे
उसके एक और
अफएर   के
गाँव में
इन दिनों.


हो न हो
वो सवार हे
प्रेम की
दो नाव में इन दिनों.


सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
२४१५०२
०९६९९७८७६३४/09619483963

Saturday 4 February 2012

Aankh ki nadiya sukh gai he



सुन्दर गोरी और
जवान
ऊपर से ऊँची
जात की वो.
अपने घर के
नोकर से ही
बाज़ी हार गई
जज्बात की वो.



कुछ आँखों ने था
देख लिया
छुप-छुप कर
मिलते बागो में
वो तीन दिनों से
गायब हे
जो रहता था
उसकी आँखों में.



कल शाम नहर के बांध में
उसकी ही
लाश पाई गई
वो रो न सकी
कुछ कह न सकी
उसकी आँखों की नदिया
हो न हो
शायद सूख गई.





सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
पिन- 209869
09699787634 

Wednesday 1 February 2012

वो अधरों के स्वर



नीले अम्बर के
मंडप तले
वो नीले नेनो का
जादू मुझे बेकल कर गया



कली गुलाबो के से
वो अधरों के स्वर
मेरे लफ्जों को
देखो ग़ज़ल कर गया



काली घटाओ के से
उन जुल्फों का उड़ना
उनके कदमो का लम्स
मेरी झोपडी को महल कर गया



अपने गमो को
आखिर भुला ही बेठे
मेरी आँखों को हाय
फ़साना दर्द का उनका सजल कर गया





'लम्स' से
सुधीर मौर्या 'सुधीर'
०९६९९७८७६३४