उसकी बातो में
लगने लगा हे
बहुत कुछ
बनाव इन दिनों.
किसी और की
गली से
गुजरने लगे हे
उसके पावं इन दिनों.
मागने लगा हे
कोई और
उसके जुल्फों की
छाव इन दिनों.
हाँ चर्चे हे
उसके एक और
अफएर के
गाँव में
इन दिनों.
इन दिनों.
हो न हो
वो सवार हे
प्रेम की
दो नाव में इन दिनों.
सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
२४१५०२
०९६९९७८७६३४/09619483963
:-)
ReplyDeletekya kehne!!!!
'प्रेम की दो नाव....'
ReplyDeleteक्या कहने!
सुधीर जी, अच्छा लिखते है आप.
thanx sir
Deleteबहुत खूब, लाजबाब !
ReplyDeleteपहली बार पढ़ रहा हूँ आपको और भविष्य में भी पढना चाहूँगा सो आपका फालोवर बन रहा हूँ ! शुभकामनायें
ReplyDeleteji thanx, sanjay
Deleteji, thanx mam...
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteसादर
thanx...
Deleteवाह! बहुत बढ़िया...
ReplyDeletethanx..
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