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Tuesday, 31 July 2012

दोशीजा-नखवत....







बाद मुद्दत के आया मेरे ख्वाब में
पुरखार-ऐ-बयाबां इरम हो गया

उल्फत से  खुल गई मिज्गा-ऐ-तश्ना
हाय ये क्या हुआ क्या गजब हो गया

दोशीजा-ऐ-नखवत की गिरी बर्क ऐसे
आशियाना-ऐ-मुहब्बत ख़तम हो गया

खेल-ऐ-उल्फत में था कितना पुरकार वो
देख ग़ुरबत रकीब-ऐ-सनम हो गया

कैसी उम्मीद अब नादां तुझको 'सुधीर'
ख्वाब आया तो यह करम हो गया.

सुधीर मौर्य 'सुधीर'
गंज जलालाबाद, उन्नाव
२०९८६९

Monday, 23 July 2012

ना सही प्यार, मेरी इबादत तो कबूल कर ले...



एक दरिया जो मेरी आँख से बहता है अभी
उसके साहिल पे तेरे नाम की इमारत है कोई
मेरी आँखों के नमकीन पानी की वजह
खंडहर सी दिखती हुई वो मिस्मार सी है
तेरे इश्क में ये बात मैंने कुफ्र की कर दी
तेरी याद में वहां इबादत तेरे बुत की कर दी
न धुप, न कपूर, न लोबान की खुशबू
तेरी यादें , मेरी आंहें, और अश्को की माला
ऐ दोस्त मेरे वजूद ने तुझे इश्क की देवी माना
ना सही प्यार, मेरी इबादत तो कबूल  कर ले...

Tuesday, 10 July 2012

कैद में मानवता...



सिसक रहें है
ज़मीं के ज़ख़्म
रिस रहा है लहू
पहाडो के बदन से
जल रहें हैं 
जंगल के जंगल
हर रोज़ शमशान में
इंसान अब इंसान 
कहाँ रह  गया है
नोचने लगा है बदन
अपने ही जन्मदाताओं का
अपने ही पालनहार का
हाँ वो बदल रहा है
आदमी से हैवान में 

अब शहर,
शहर नहीं रहे
जिनकी राहों से गुजरते थे लोग
सलाम और जय राम 
जैसे मन्त्र गुनगनाते
आज उन्ही राहों पे
दानव रचातें हैं 
तांडव
रोड-रेज का
रह जाती है केवल 
खबर बनकर  
इज्जत लूटना अबलाओं की 
घोट दी जाती हैं आवाजें 
प्रेम मई जोड़ों की 
सहारा लेकर 
गोत्र के पाखंड का...

कैद है सारी की सारी मानवता 
सिसक रही है
सर्द अँधेरी गुफाओं में दफ़न
जिसके मुहाने पे
खड़ें  हैं
दानवी पहलवान
हाथों मे 
नग्न चंद्रहास लिए...

सुधीर मौर्य 'सुधीर'
०९६९९७८७६३४

Thursday, 5 July 2012

प्यार और बेवफाई..



सबक आख़िरी भी मुहब्बत का सीखा
तुझे दुश्मनों में खडा हमने  देखा...

   हो न हो  से...

सुधीर मौर्य

Wednesday, 4 July 2012

मधुमास की पहली रात...



स्पर्श सूर्य का पाते ही
किसलय ने आँचल खोल दिया
मधुमास में मधुकर ने कलियों के
अधरों पे मधुरस घोल दिया...

दे नर्म अंगुलिओं में वीणा के तार 
हाथों में अपने ढोल दिया
सम्पूर्ण रात भर प्रियतम को
प्रेयसी ने भेट अनमोल दिया...

प्रियतम ने कली से सुमन बना
अधरों के रस का मोल दिया
मधुमास की पहली रात को यूँ
एक-दूजे पे ह्रदय खोल दिया...


सुधीर
'हो न हो' से....