LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

Followers

इस ब्लॉग के अधिकाँश चित्र गूगल से सभार लिए गए हैं....
© कॉपीराईट नोटिस

इस ब्लॉग पर उपलब्ध साडी सामग्री का सर्वाधिकार सुधीर मौर्या सुधीर' के पास सुरछित हे. इनकी अनुमति के बिना इस ब्लाग से कुछ भी पूर्ण या आंशिक रूप से कापी करना वर्जित हे. कुछ भी प्रकाशित करने से पहले सुधीर मौर्या से लिखित इजाजत लेना और रचनाकार के तौर पर सुधीर मौर्या के नाम का स्पष्ट उल्लेख करना जरुरी हे.


Friday, 24 August 2012

हाँ तू मिल जाती जो तकदीर सवंर जाती मेरी...















फांका से दम न रहा कुछ यूँ कमज़ोर भी हैं
इक मुहब्बत के सिवा जहाँ में गम और भी हैं

मैंने सोचा था तेरे वस्ल से हसीं क्या होगा
तेरी जुदाई सा दर्द जहाँ में कहीं क्या होगा

साडी दुनिया है सनम गम की सताई हुई
अपना कुछ दर्द नहीं जो यूँ जुदाई हुई

हाँ तू मिल जाती जो तकदीर सवंर जाती मेरी
तेरे वस्ल से ज़ीस्त निखर जाती मेरी

कभी तो देख सनम ठण्ड से ठिठुरते बदन 
भरी जवानी में कमर से झुकते बदन

बेमौत मरते लोग पीप से भरे ज़ख्म
चलने को ताब नहीं हाय वो अम्राज़े-आलम

मुझको रहत की सनम अब कोई दरकार नहीं
हाँ तू अब ही है हसीं मुझको इनकार नहीं

ये भी हो सकता है तुझे गम से सरोकार नहीं
दिने गुजिश्ता की तरह मुझसे हो प्यार नहीं

युझ्को तो सनम वस्ल की राहत चाहिए
हमसफर महबूब की चाहत चाहिए

सिवाय उल्फ्ते गम के दुनिया में शोर भी है
इक मुहब्बत के सिवा जहाँ में गम और भी हैं....


कविता संग्रह 'हो न हो' से...
सुधीर मौर्य 'सुधीर;
  

No comments:

Post a Comment