शफक की धुप में
मे जाकर छत पर तनहा खड़ा हो गया
पड़ोस की छत पे
बल बनाती हुई लड़की
मुस्करा दी
मैंने उसकी जानिब
जब कोई तवज्जो न दी
तो वो उतर कर
निचे चली गई
काश कुछ साल पहले
में एसा कर पाता
किसी की जुल्फों की
असीरी से खुद को बचा पाता
शायद तब
ये शफक ये शब्
मेरे तनहा न होते
या फिर वही बेवफा न होते
में- छत से उतर कर
एकांत कमरे में
तनहा बेथ गया
'लम्स' से
सुधीर मौर्या 'सुधीर'
गंज जलालाबाद,उन्नाव-२४१५०२
०९६९९७८७६३४
सुंदर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeletethanx sir
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