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Sunday 10 June 2012

प्रेम में फरेब..


पिछले कई दिनों से
सूरत लगती थी उसकी
कुम्हलाई हुई इ
अक्सर दिखती थी
वो घबराई हुई सी.

कम हो गया था 
उसका कालेज जाना
वो शरारतें उसकी
वो मुस्कराना.










तब्दीलियाँ आने लगी थी
शरीर में उसके
डूबे रहते थे आजकल
नेंन, नीर में उसके

खो दिया था उसने
अपना कुछ तो
समर्पित करना था उसे
सुहाग सेज पे जिसको.

खाया था उसने
हो न हो
प्रेम में फरेब 
किसी से इन दिनों.






'हो न हो' से..

1 comment:

  1. expression

    बहुत बढ़िया सुधीर जी.....

    शुभकामनाएं.

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