ओ अमृतमयी प्रिये
मुझे याद तो करते होगे.
जब कोई नव योअना, किसी
नवयुवक के साथ ठिठोली करती होगी,
जब कोई अल्हड
किसी कुंवर के साथ चलती होगी
अपने शरीर का स्पर्श देते हुए
ओ अमृतमयी प्रिये
तब मुझे याद तो करते होगे.
जब गावं की कोई क्वांरी
अपने किसी मनमीत को
अपने हाथ से जामुन खिलाती होगी,
कांसे के लोटे में
नहर का पानी लाकर, उसे
अपनी अंजुली से पिलाती होगी
ओ अमृतमयी प्रिये
तब मुझे याद तो करते होगे.
'हो न हो' से...
b ahgut sundar bhaavmay rachna.....
ReplyDeleteसुधीर जी,बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव,
ReplyDeleteसादर
अनु