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Wednesday 4 July 2012

मधुमास की पहली रात...



स्पर्श सूर्य का पाते ही
किसलय ने आँचल खोल दिया
मधुमास में मधुकर ने कलियों के
अधरों पे मधुरस घोल दिया...

दे नर्म अंगुलिओं में वीणा के तार 
हाथों में अपने ढोल दिया
सम्पूर्ण रात भर प्रियतम को
प्रेयसी ने भेट अनमोल दिया...

प्रियतम ने कली से सुमन बना
अधरों के रस का मोल दिया
मधुमास की पहली रात को यूँ
एक-दूजे पे ह्रदय खोल दिया...


सुधीर
'हो न हो' से....


1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रेमरस से भरी रचना
    :-)

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