इन दिनों
पलाश सा खिला है
चेहरा उसका...
कोयल सी कुहक है
होठों पे उसके...
झील सी आँखें करती हैं
अठखेलियाँ उसकी...
खिलने लगी है
चंद्रिमा पूनम की
गालों में उसके...
हिरन सी लचक है
चाल में उसकी...
लगता है जेसे
अवतरित हुआ है मधुमास
शरीर में उसके...
हो न हो...
चड़ने लगा है उसपे
प्रीत का रंग किसी-
का
इन दिनों...
कविता संग्रह 'हो न हो' से...
superb...
ReplyDeleteprit ka bahut sundar rang...
:-)
ji shukriya Reena ji..
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